पण, वो बारणे जान चोड़े-धाड़े ईं बात को परच्यार करबा लागो। ईं वाते ईसू कदी नगर में चोड़े-धाड़े ने जा सक्या, पण वीं हून्नी जगाँ में रेरिया हा अन मनक हर कटूँई वाँका नके आता रिया।
वो एक दन राते ईसू का नके आन क्यो, “हो गरुजी, माँ जाणा हाँ के, थाँ गरुजी हो अन थाँ परमेसर का आड़ीऊँ खन्दाया तका हो, काँके अस्या परच्या, जी थाँ बतावो हो, यद्याँ परमेसर वाँका हाते ने वेवे, तो वो ने बता सके हे।”