15 ईसू यो जाणन के, “वी लोग मने जबरदस्ती पकड़न राजा बणबा के वाते आरिया हे।” तो वीं एकलाई मंगरा पे परोग्या।
जद्याँ ईसू मनकाँ की मोटी टोळी देकी, तो वो मंगरा पे पराग्यो अन वटे जान बेटग्यो अन वींका चेला वींका नके आग्या।
वे मनक ज्यो आगे हा अन ज्यो पाच्छे हा, बोलरिया हा, “परमेसर की जे हो, परबू का नामऊँ आबावाळा राजा ने परमेसर आसिरवाद दे।
“धन्ने हे वो राजा, जो परबू का नामऊँ आवे हे। हरग में सान्ती अन आकास में मेमा वेवे।”
ईसू वींने क्यो, “मारो राज ईं दनियाँ को ने हे। यद्याँ मारो राज ईं दनियाँ को वेतो तो मने मानबावाळा लड़ता के, मूँ यहूदियाँ का हाताँ में हूँप्यो ने जाऊँ। पण मारो राज अटा को ने हे।”
“मूँ मनकाँ का मुण्डाऊँ किदी तकी बड़ई ने छावूँ हूँ।
आगले दन लोग-बागाँ की भीड़, ज्या समन्द के पेली पार रेगी ही, वाँने यो पतो पड़्यो के, वटे एकीस नाव ही अन ईसू आपणाँ चेला का हाते वींमें ने ग्या हा।
तद्याँ ईसू मंगरा पे चढन आपणाँ चेला के हाते बेटग्या।
दनियाँ की कस्यी भी चीज परमेसरऊँ हपी तकी ने हे, वाँकी आक्याँ का हामे हारी चिजाँ खुली अन बना परदा की हे। वाँका हामे आपाँने आपणो लेको देणो हे।