12 जद्याँ वीं खान धापग्या तो ईसू आपणाँ चेलाऊँ क्यो, “परोस्या केड़े बंची तकी रोट्याँ भेळी करो, जणीऊँ एक भी रोटी बेकार ने वेवे।”
वणी भूका ने हव चिजाँऊँ भर दिदा अन रिप्यावाळा ने खाली हाताई काड़ दिदा।
अन थोड़ाक दन केड़े नानक्यो बेटो आपणी पांती को धन-दोलत ज्यो हो वींने भेळो करन नरई छेटी का देस में परोग्यो अन वटे बुरा कामाँ में आपणी हारी धन-दोलत ने उड़ा दी।
पसे ईसू आपणाँ चेलाऊँ क्यो, “एक सेठ के एक मुनीम हो। लोग-बाग सेठ का हामे वींपे यो दोस लगाबा लागा के, ‘यो थाँकी हारी धन-दोलत उड़ारियो हे।’
अस्यान वीं हाराई खान धापग्या अन चेला बची तकी रोट्याँ की बारा ठोपळा भरिया।
ईसू अन वींका चेला ने भी वीं ब्याव में नुत्या ग्या हा।