45 यो मती हमज्यो के, मूँ मारा बापू परमेसर का हामे थाँका ऊपरे दोस लगाऊँ। थाँका पे दोस लगाबावाळो तो मूसो हे, जिंपे थाँ आस लगा मेली ही।
पण अबराम वणीऊँ क्यो, “वाँका नके मूसा अन परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा की किताब हे। वाँने वणा की हुणाबा दे।”
ज्यो मने नकारे हे अन मारा बचनाँने ने माने हे वाँने दोसी ठेराबावाळो तो एकीस हे, ईंको मतलब जीं बचन में बताया, वींइस आकरी दन में वाँने दोसी बणाई।
कई मूसे थाँने वेवस्ता का नेम ने दिदा हा? पण थाँकामूँ कुई भी नेम को पालण ने करे हे। तो थाँ मने मारबा की कोसीस काँ कररियाँ हो?”
तद्याँ या बात हुणन हाराई मनक एक-एक करन पराग्या अन हाराऊँ पेल्याँ भूण्डा मनक ग्या अन आकरी में वटे लुगई अन ईसूइस बच्या।
ईं वाते जीं बना नेमाने जाणन पाप करे, वीं बना नेमा के नास वेई, अन जीं नेमा ने जाणन पाप करे, वाँको दण्ड नेमा के जस्यान वेई।
पण ज्यो मनक मूसा का कामाँ का जस्यान चाली वीं हाराई मनक पाप का गुलाम रेई। काँके सास्तर में लिक्यो हे के, “ज्यो कुई मूसा का नेमा की किताब में लिकी तकी हारी बाताँ ने कोयने मानी, वींने हराप लागी।”