ईसू वींने क्यो, “हे फिलिपुस, मूँ अतरा दनाऊँ थाँरा हाते हूँ, अन कई थूँ मने ने ओळके हे? जणी मने देक्यो हे वणी बापू ने देक्या हे। तो थूँ काँ केवे हे के, ‘माने बापू का दरसण करई दे’?
यद्याँ मूँ वाँका में वीं काम ने करतो, जिंमें किदो, तो वीं पापी ने बणता। पण अबे वाँकाणी वणा कामाँ ने देक्या हे, तद्याँ भी वीं माराऊँ अन मारा बापूऊँ दसमणी किदी।
वीं खाणा वाते मेनत मती करो, ज्यो वासी जावे हे। पण वीं खाणा का वाते मेनत करो, ज्यो अनंत जीवन का वाते हे। अन यो खाणो मनक को पूत थाँने देई, काँके परमेसर वींने यो अदिकार दिदो हे।”
जद्याँ आपाँ मनकाँ की गवई ने माने हाँ, तद्याँ परमेसर की गवई का वाते कई केवा? काँके परमेसर की गवई तो मनकाँ की गवईऊँ मोटी हे। अन अणी गवई की मानता आ हे के, परमेसर आपणाँ बेटा का वाते गवई दिदी।