13 पण वो ज्यो हव वेग्यो हो, वो ने जाणतो हो के, “वो कूण हे।” काँके वणी जगाँ नरई भीड़ वेबाऊँ ईसू पराग्या हा।
वणीस दाण वाँकी आक्याँ खलगी अन वणा वींने ओळक लिदो हो, पण वो वाँकी आक्याँ आगेई खुवाग्यो।
पण ईसू वाँका बचमेंऊँ निकळन पराग्या।
ईसू वींने क्यो, “हे फिलिपुस, मूँ अतरा दनाऊँ थाँरा हाते हूँ, अन कई थूँ मने ने ओळके हे? जणी मने देक्यो हे वणी बापू ने देक्या हे। तो थूँ काँ केवे हे के, ‘माने बापू का दरसण करई दे’?
तो मनकाँ वींने पूँछ्यो, “वो कूण मनक हे जणी थने क्यो, ‘वसाणो उठान चाल-फर’?”
अणा हारी बाताँ के पछे वो मनक ईसू ने मन्दर में मल्यो, जद्याँ ईसू वींने क्यो, “देक, अबे थूँ हव वेग्यो हे, अबे पाछो थूँ पाप मती करज्ये, अस्यान ने वे कुई मोटी आपत थारे गळा में पड़ जावे।”
ईं बात पे वणा ईसू ने मारबा के वाते भाटा हाताँ में ले लिदा, पण वो छानेकूँ मन्दरऊँ बारणे निकलग्यो।