44 काँके ईसू खुदई क्यो हो के, कुई परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा आपणाँ खुद का देस में आदर-मान ने पावे हे।
ईं तरियाँ वणा हाराई ईसू पे विस्वास ने किदो। पण ईसू वाँने क्यो, “परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा ने आपणाँ देस अन आपणाँ घर ने छोड़न हारी जगाँ मान मले हे।”
तद्याँ ईसू वाँने क्यो, “कस्या भी परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा ने वींको देस हगा-होई अन परवार ने छोड़न, दूजाँ कुई वींको मान ने गटावे हे।”
मूँ थाँकाऊँ हाँची कूँ हूँ के, “कुई भी परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो आपणाँ खुद का गाम में मान ने पाई।”