“मूँ थाँने सई-सई केवूँ हूँ, ज्यो मारा बचनाँ ने हुणन मारा खन्दाबावाळा को विस्वास करे हे, वो अनंत जीवन पावे हे। अन वाँने दण्ड ने दिदो जाई, पण वीं मोतऊँ छेटी वेन जीवन में परवेस करग्या हे।
मारा भायाँ थाँने ओ पतो वेणो जरूरी हे के, में घणी दाण थाँका नके आबा की होची, पण हरेक दाण कई ने कई अस्यान को वेता के, मूँ ने आ सक्यो। मूँ थाँका आड़ीऊँ भी वस्योईस फळ पाणो छावूँ हूँ, जस्यो ज्यो यहूदी ने हा, वाँ मनकाँऊँ पायो हो।
पण अबे थाँने पापऊँ छुटकारो मलग्यो ग्यो हे अन परमेसर का दास बणा दिदा ग्या हो, तो ज्या खेती थाँ करिया हो, वाँ थाँने परमेसर का आड़ी खरईपणा में लेजाई। जिंको आकरी फळ अनंत जीवन हे।
ईं वाते मारी दानकी कस्यी हे? के जद्याँ हव हमच्यार को परच्यार करूँ तो बना दानकी लेन करूँ हूँ, ताँके हव हमच्यार को परच्यारऊँ ज्यो पाबा को मने अदिकार हे, मूँ वींने पूरो काम में ने लूँ।