32 पण ईसू वाँकाऊँ क्यो, “मारा नके खाबा के वाते अस्यो खाणो हे जिंने थाँ ने जाणो हो।”
वीं दाण चेला ईसुऊँ अरज करबा लागा, “हो गरुजी, कई खई लो।”
तद्याँ चेला एक-दूजाऊँ क्यो, “कुई ईंका वाते खाणो तो ने लायो?”
ईसू वाँने क्यो, “मारो खाणो ओ हे के, मूँ मने खन्दाबावाळा की मरजी पे चालूँ अन वींको काम पूरो करूँ, ज्यो वणी मने हुप्यो हे।
में थाँने हंगळो करन दिकायो के अस्यान मेनत करता तका गरीबा ने हमाळो अन परबू का बचन ने रोज याद राकज्यो, जो वणी क्यो हो के, “लेबाऊँ देणो हव हे।”
जिंके कान्दड़ा हे वीं हुणीलो के, आत्मा मण्डळ्याऊँ कई केवे हे। ज्यो भी जिती, मूँ वाँने हरग में हपायो तको मन्नो देऊँ। मूँ वाँने एक धोळो भाटो भी देऊँ, जिंका ऊपरे एक नुवो नाम लिक्यो तको वेई। वो नाम वीं मनक का छोड़न कुई ने जाणी, जिंने वो दिदो जाई।