26 ईसू वींने क्यो, “मूँ ज्यो थाँराऊँ बाताँ कररियो हूँ, मूँ वोईस हूँ।”
तद्याँ वाँकाणी चेला ने हेंचेत किदा के, “किंने भी मती किज्यो के मूँ मसी हूँ।”
कई ओ हव ने के, मूँ आपणाँ मालऊँ ज्यो छावूँ वो करूँ? कई मारो दयाळू वेबा का मस थूँ रिस्याँ बळे हे?’”
अन देको, नरई पाच्छे हे वीं पेली वे जाई अन जीं पेली हे वीं पाच्छे वे जाई।”
“अबाणू वींके वेबा के पेल्याँ थाँने ईं वाते बतारियो हूँ ताँके जद्याँ यो वे जाई तो थाँ विस्वास करो के, मूँ वोईस हूँ।
ईं वाते में थाँकाऊँ क्यो के, थाँ खुद आपणाँ पाप मेंईस मरो, काँके यद्याँ थाँ विस्वास ने केरो के, ‘मूँ वोईस हूँ’ तो थाँ थाँके खुद का पाप मेंईस मरो।”
ईं वाते ईसू क्यो, “जद्याँ मनक का पूत ऊसो उटायो जाई, तद्याँ थाँ हमज जावो के ‘मूँ कूण हूँ’ अन यो भी जाण जावो के, मूँ मारी ओरुँ कई ने करूँ। पण मूँ ज्यो कई केवूँ हूँ, वस्यानीस केवूँ हूँ, जस्यान मारा बापू मने हिकायो हे।