काँके मूँ अटने-वटने फरतो तको थाँकी पूजबा की चिजाँ ने देकरियो हो, तो एक अस्यी वेदी भी देकी जिंपे मण्ड्यो हे, “अणजाण परमेसर के वाते।” ईं वाते थाँ जिंने बना जाण्या पूजो हो, मूँ थाँने वींको हव हमच्यार हूँणऊँ हूँ।
तद्याँ थाँने वाँ डाळ्याँ का हामे जीं तोड़न फेंकी गी हे, मेपणो ने करणो छावे। अन जद्याँ मेपणो करो, तद्याँ ध्यान राको के, ईं थाँ कोयने हो ज्यो जड़ा ने पाळरिया हो, या तो वाँ जड़ हे ज्यो थाँने पाळरी हे।