4 निकेदुमस वाँकाऊँ क्यो, “मनक जद्याँ डोकरो वे जावे हे, तो वो कणी तरियाऊँ जनम ले सके हे? कई वो आपणी माँ का पेट में दूजी दाण जान जनम ले सके हे?”
ईसू वींने जवाब दिदो के, “मूँ थाँराऊँ सई केवूँ हूँ, यद्याँ थूँ पाछो जनम ने लेवे, तो परमेसर का राज ने देक ने सकी।”
ईसू वींने जवाब दिदो के, “मूँ थाँकाऊँ हाचेई केवूँ हूँ, जद्याँ तईं कुई मनक पाणी अन पुवितर आत्माऊँ ने जनमे तो वो परमेसर का राज में ने जा सकी।
ईसू वाँने क्यो, “मूँ थाँकाऊँ हाँची केवूँ हूँ जद्याँ तईं मनक का पूत की देह ने ने खावो, अन वींको लुई ने पिवो, तद्याँ तईं थाँकामें जीवन भी ने वेई।
ईसू पे विस्वास करबावाळा मूँ घणा जणा यो हुणन क्यो के, “या हिक घणी अबकी हे। ईंने कूण मान सके?”
वीं ज्यो भटक रिया हे वाँका वाते मसी को हूळी पे मरबा को संदेस एक मुरकता हे, पण ज्यो बंचाया जारिया हे वाँका वाते परमेसर की तागत हे।
पण देह को मनक परमेसर की आत्मा की बाताँ गरण ने करे, काँके वीं बाताँ वींकी देकणी में बेण्डापणा की बाताँ हे अन ने वो वाँने जाण सके हे काँके वाँ बाताँ की परक आत्मिक रितऊँ वेवे हे।