3 समोन पतरस वाँकाऊँ क्यो, “मूँ माछळ्याँ पकड़बा ने जारियो हूँ।” तो वणा वींने क्यो, “माँ भी थाँरा हाते आवा।” तो वीं नाव में चड़ग्या पण, वणी रात वीं एक भी माछळी ने पकड़ सक्या।
हो भायाँ-बेना, थाँ माँकी मेनत अन दुक ने आद राको हो ज्यो थाँका बचमें व्यो हो अन माँ रात-दन काम धन्धो करन थाँने परमेसर को हव हमच्यार हुणायो जणीऊँ थाँका पे कई बोज ने पड़े।