18 मूँ थाँराऊँ सई-सई केवूँ हूँ, जद्याँ थूँ मोट्यार हो। तो जटे जाणो छातो हो, वटे जातो। पण, जदी थूँ डोकरो वेई। तो आपणाँ हात ऊँचा केरी अन दूज्यो थने बाँदन जटे थूँ ने जई वटे ले जई।”
आपाँ ईं देह में रेता तका बोजऊँ टसका लेरिया हाँ, ईंकी वजे आ हे के, आपाँ आपणी देह ने बदलणी ने छावाँ पण ईं देह में हरग को जीवन जीवणो छावाँ हाँ जणीऊँ ज्यो मरबा को जीवन हे वो जुग-जुग को जीवन वे जाई।