“देको हूँस्यार रेज्यो, मूँ थाँने अदिकार का हाते अस्यान बारणे खन्दारियो हूँ जस्यान गारा ने वरगड़ा का बचमें खन्दाया जावे ईं वाते हाँप का जस्यान हेंचेत रो अन परेवड़ा का जस्यान भोळा बणो।
“मूँ थाँने सान्ती देन जारियो हूँ, आपणी खुद की सान्ती थाँने देवूँ हूँ। दनियाँ देवे हे वस्यान मूँ थाँने ने देवूँ हूँ। थाँको मन दकी ने वेवे अन ने थाँ दरपे।
परमेसर की पुवितर आत्मा ईसू ने हरग में लेन परीगी वीं दन तईं ईसू हिकई अन किदी। ईसू को हरग में जाबाऊँ पेल्या ईसू थरप्या तका चेला ने पुवितर आत्माऊँ उपदेस दिदा।
परमेसर को परच्यार करती दाण नरई गवा की मोजुदगी में, जीं बाताँ थें माराऊँ हिकी हे, वाँने विस्वास जोगा मनकाँ ने हूँप दे, जीं दूजाँ ने हिकाबा को मन राकता वेवे।