ईं वाते हुकम दो के, तीजा दन तईं कबर की रुकाळी करी जावे, अस्या ने वे के, वाँका चेला आन वींने चुरा लेजा अन लोगाऊँ केबा लागा के, ‘वो मरिया तका मेंऊँ जी उट्यो हे। तद्याँ यो धोको पेल्या का धोकाऊँ भी मोटो वेई।’ ”
पछे यूसप हण का बणया तका गाबा मोल लिदा अन ईसू की लास ने हूळीऊँ रेटे उतारी, वींकी लास ने वी गाबा में पलेट लिदी अन वींने एक कबर में मेल दिदी। वाँ कबर मंगरा ने काटन बणई तकी ही अन पछे कबर का मुण्डा पे एक भाटो हरका दिदो।
हपता का पेले दन जद्याँ परबू ने आद करबा का जीमणा वाते भेळा व्या तो पोलुस वाँऊँ बात-बच्यार करतो रियो अन दूजे दन जाणो हो, ईं वाते आदी रात तईं बाताँ करतो रियो।
अन जद्याँ भी हपता को पेलो दन दितवार आवे थाँ थाँकी कमई मेंऊँ कईन कई थाँका घर में भेळा करता रेज्यो। जणीऊँ के, मूँ जद्याँ भी अऊँ थाँने दान भेळा करणो ने पड़े।