जद्याँ मुक्ये ओ पाणी चाक्यो, ज्यो अंगूरा को रस बणग्यो हो, वो ने जाणतो हो के, ओ कटाऊँ आयो, पण जणा नोकर-चाकर पाणी काड्यो हो, वीं जाणता हाँ। तो वणी मुक्ये बींद ने बलायो,
किंकी भी उदारी हे तो वींने चुका दो, अन ज्यो कर थाँने देणो हे वो दिदो। किंको जद्याँ हाँसल निकळे, तो वींने दिदो। जणीऊँ दरपणो छावे, वणीऊँ दरप। जिंको आदर करणा छावे, वींको आदर कर।