ईसू परमेसर का मन्दर में जान वीं हारई ने, ज्यो मन्दर में लेण-देण को काम कररिया हाँ, वाँने बारणे काड़ दिदा, अन विदेसी रिप्या बदलबावाळा का तकता अन परेवड़ा बेचबावाळा की दकाना ने उलटी कर नाकी।
पछे वणा उपदेस देता तका क्यो, “परमेसर का बचना में ओ ने लिक्यो हे, ‘मारो घर हारई देसा का मनकाँ का वाते परातना करबा की जगाँ केवाई’ पण, थाँ ईंने ‘चोरा को ठाणो’ बणा दिदो हे।”
ईं वाते ईसू हण को कोड़ो बणान हाराई ढान्ढा-ढोर अन गारा ने मन्दर का चोकऊँ बारणे काड़ दिदा, अन लेण-देण करबावाळा का रिप्या-कोड़ी बखेर दिदा, अन वाँका तकता उळट-पुळट कर दिदा।
ईसू वींने क्यो, “मारे हात मती लगा, काँके मूँ अबाणू बाप का नके ने ग्यो हूँ। पण, मारा भायाँ का नके जान वाँने के दे के, ‘मूँ मारा बाप अन थाँका बाप अन मारा परमेसर अन थाँका परमेसर का नके ऊपरे जारियो हूँ।’ ”