ईसू यो हमजन के, “वीं माराऊँ कई पूँछणा छारिया हे।” ईं वाते वणा क्यो, “कई थाँ एक-दूजाऊँ मारी ईं बाताँ का बारा पूँछरिया हो के, ‘थोड़ीक टेम केड़े थाँ मने ने देको अन पछे थोड़ीक टेम में मने देको’?
अबाणू तईं तो थाँने हिक देबावाळा बण जाणो छावतो हो, पण थाँने अबाणू भी एक अस्या मनक की जरूत हे ज्यो थाँने सरूऊँ परमेसर की हिक की सरुवात की बाताँ हिकावे। थाँके तो अबाणू रोटी ने, बेस दूद की जरूत पड़री हे।