पण आपणाँ में जड़ ने पकड़बा का मस वीं थोड़ाक दनईस रेवे हे, अन जद्याँ परमेसर पे विस्वास करबा की वजेऊँ मनक वाँकाऊँ हव वेवार ने राके अन हतावे तो वीं विस्वास करणो छोड़ देवे हे।
पण में ईं बाताँ ईं वाते थाँने क्यो के, जद्याँ अणाको टेम आई तो थाँने आद आ जई के, में थाँने पेल्याई के दिदो हो। “में सरू में थाँने ईं बाताँ ईं वाते ने किदी, काँके मूँ थाँका हाते हो।
अन वो “अस्यान को भाटो बणग्यो, जणीऊँ लोगाँ ने ठेस लागे। अन ठोकर खाबा वाते एक छाँट के जस्यान बणग्यो।” काँके वीं तो बचन ने मानन ठोकर खावे हे अन योईस वाँका वाते ठेरायो भी ग्यो हे।