मनक को पूत हरग-दुताँ ने अदिकार का हाते खन्दाई, अन वीं च्यारूँमेरऊँ वणा हाराई मनकाँ ने भेळा करी जीं दूजाँ मनकाँ ने पाप में नाके हे अन वाँने ज्यो परमेसर की आग्या ने माने हे
अन जद्याँ ईं मनक छुटकारो देबावाळा परबू ईसू मसी का बारा में जाणबा का केड़े भी अन ईं दनियाँ की बुरई मेंऊँ निकळबा का केड़े पाच्छा वीं बुरई में जावे हे तो वणा मनकाँ के दसा पेलाँ की दसाऊँ भी हेली बुरी वेई।
पण दरपण्या अन बना विस्वासवाळा, भरस्ट, हत्यारा अन कुकरमी, जादु-टोना करबावाळा, मूरती पुजबावाळा, अन हाराई जूट बोलबावाळा को भाग वीं कुण्ड में मली ज्यो हमेस्यान बळतो रेवे हे। या दूजी मोत हे।”