तो वणी दास को मालिक अस्या दन आ जाई के, वो वींकी वाट ने नाळतो वेई अन अस्यी टेम जिंने वो जाणतो भी ने वेई, वीं टेम वो अई जाई। अन मालिक वींने टुका-टुका कर देई अन वींने बना विस्वास करबावाळा का बसमें राक देई।”
यद्याँ मूँ वाँका में वीं काम ने करतो, जिंमें किदो, तो वीं पापी ने बणता। पण अबे वाँकाणी वणा कामाँ ने देक्या हे, तद्याँ भी वीं माराऊँ अन मारा बापूऊँ दसमणी किदी।
ईसू जवाब दिदो, “यद्याँ परमेसर थाँने मारा पे यो हक ने देता, तो थाँ कई ने कर सकता। तो थारो मारा पे कई हक ने वेतो। ईं वाते जणा मने थाँरा हाताँ में हूँप्यो हे, वीं थाँराऊँ भी हेला पापी हे।”
काँके जद्याँ परमेसर ईं जग ने बणायो हो, तद्याँऊँ वाँका ने दिकबावाळा गुण मतलब अनंत सगती अन परमेसर का हभाव देक्या जावे हे, परमेसर ज्यो कई बणायो हे वणा चिजाँऊँ वीं परमेसर ने साप साप जाणे हे। ताँके मनकाँ का नके कई आळको ने वेवे।
ईं वाते हे न्याव करबावाळा पलई थूँ कुई भी वे, थाँरा नके कई आळको ने हे, काँके जणी काम का वाते थूँ किंने दूजाँ ने दोसी माने हे, वणीऊँस थूँ आपणाँ खुद ने भी दोसी केवाड़े हे, काँके जणा कामाँ को थूँ न्याव करे हे वाँने थूँ खुद भी करे हे।