ईसू वाँने एक ओरी केणी क्यो, “हरग को राज खमीर का जस्यान हे जिंने कुई लुगई थोड़ोक लेन तीन पसेरी आटा में मला देवे अन देकताई-देकता वणी हाराई आटा ने खमीर फुजई देवे हे।”
हड़क का आड़ी वणी एक अंजीर को रूँकड़ो देकन वो वींका भड़े ग्यो, तो वींने पान्दड़ा ने छोड़ वींमें ओरू कई ने मल्यो। तो ईसू रूँकड़ा ने क्यो, “अबे थाँरे में कदी कई फळ ने लागी।” अन वो रूँकड़ो तरत हुकग्यो।
वींका हाताँ में वींको हुपड़ो हे जणीऊँ वो धानऊँ हुंकला ने अलग करी अन आपणाँ खेत मेंऊँ होजा किदो तका गव भेळा करन, कोठा में भरी अन हुंकला ने वीं वादी में बाळी, ज्याँ कदी ने बजे हे।”
अन कुई मनक तो हव गारा का जस्यान हे जटे बीज बोयो जावे हे, वीं सन्देसा ने हुणे अन मन में उतारे, ईं वाते वीं फळ लावे, ज्यो कटे तीस गुणा, कटे हाठ गुणा अन कटे हो गुणाऊँ भी हेला फळ लावे।”
काँकरा वाळी जगाँ का बीज वणा मनकाँ का जस्यान हे के, जद्याँ वी हुणे, तो वी आणन्द का हाते परमेसर की वाणी ने माने हे। पण वीं जड़ ने पकड़वा का मस थोड़ीक दाण विस्वास करे हे अन परक की दाण वी भाग जावे हे।
थाँ मने ने चुण्यो पण में थाँने चुण्या हे अन थाँने ठेराया हे के, थाँ अस्या फळ-फळो जीं हमेस्या बण्या रेवे। तद्याँ थाँ मारा नामऊँ ज्यो कई बापऊँ मांगो, वो थाँने दे।
जद्याँ मूँ वाँका लारे हो, तो में थाँका नाम की तागतऊँ ज्यो थाँ मने दिदो हे, वाँकी रुकाळी किदी। में वाँने हमाळ राक्या अन बेस वीं मनक छोड़न ज्यो नास का आड़ी लेजाबावाळा गेले चाल पड़्यो, ओर किंकोई नास ने व्यो, ईं वाते के पवितर सास्तर में ज्यो बतायो ग्यो वो पूरो वेवे।
पण जद्याँ थोड़ीक डाळ्याँ तोड़न फेंक दिदी जावे अन थाँ ज्यो एक जंगल का जेतुन रूँकड़ा का जस्यान हो अन थाँने वणा फेंकी तकी डाळ्याँ की जगाँ कलम किदा जावे, तो थाँ वीं रूँकड़ा ने जड़ाऊँ मलबावाळी चिजाँ में भागेदारी लेवो।
तो थूँ परमेसर की दया ने देक अन वींका गाटापणा पे ध्यान दे। ओ गाटापणा वाँका वाते हे ज्यो रेटे पड़ग्या हा, पण वाँकी दया थाँरा वाते हे। यद्याँ थूँ खुद पे वींकी दया बणी तकी रेवा देई। ने तो थने भी काटन फेंक दिदो जाई।