“पण, हो मारा हण्डाळ्याँ, मूँ थाँकाऊँ कूँ हूँ के, वाँकाऊँ मती दरपो, जी खाली थाँकी देह को नास कर सके हे। पण, वींका केड़े वीं कई ने कर सके हे, वाँकाऊँ दरपो मती।
ईसू मसी आपाँ वाते आपणाँ जीवन त्याग कर दिदो हो, ईं वजेऊँ आपाँ जाण सका हाँ के, परेम कई हे? ईं वाते आपाँने भी आपणाँ भायाँ वाते जान भी देणी का वाते त्यार रेणो छावे।