ईसू क्यो, “एक ओरी केणी हुणो। एक जमींदार हो, जणी अंगूरा को एक बाग लगायो, वींके च्यारूँमेर हड़ो किदो, वींमें रस को कुण्ड भी बणायो अन वींमें एक डागळो बणायो अन हिंजारिया ने हिजारे देन परोग्यो।
ईसू केणी में वाँने केबा लागो, “एक मनक अंगूरा को एक बाग लगायो अन वींके च्यारूँमेर हड़ो किदो। पछे अंगूरा को रस निकाळबा के वाते गाणी अन रुकाळी का वाते डागळो बणायो, अन हिंजारिया ने हिजारे देन जातरा पे परोग्यो।
पण जद्याँ थोड़ीक डाळ्याँ तोड़न फेंक दिदी जावे अन थाँ ज्यो एक जंगल का जेतुन रूँकड़ा का जस्यान हो अन थाँने वणा फेंकी तकी डाळ्याँ की जगाँ कलम किदा जावे, तो थाँ वीं रूँकड़ा ने जड़ाऊँ मलबावाळी चिजाँ में भागेदारी लेवो।
मूँ थाँने एक ओरुँ नुवो आदेस लिकूँ हूँ। ईंको हाँच मसी का जीवन में अन थाँका जीवन में परगट व्यो हे, काँके अंदारो खतम वेरियो हे अन हाँचा को उजितो चमकणो सरू वेग्यो हे।