17 वाँ पुवितर आत्मा हे। ज्या दनियाने ने मल सके हे, काँके दनियाँ वींने ने देक सके हे अन ने ओळके हे। पण थाँ वींने ओळको हो, काँके वाँ थाँका लारी रेई अन वाँ थाँकामें वास करी।”
पण देह को मनक परमेसर की आत्मा की बाताँ गरण ने करे, काँके वीं बाताँ वींकी देकणी में बेण्डापणा की बाताँ हे अन ने वो वाँने जाण सके हे काँके वाँ बाताँ की परक आत्मिक रितऊँ वेवे हे।
कई थाँ ने जाणो हो के, थाँकी देह पुवितर आत्मा को मन्दर हे, ज्यो थाँकामें बसी तकी हे अन थाँने परमेसर का आड़ीऊँ मली हे अन वाँ थाँकी खुद की ने हे। थाँ खुदऊँ ने पण परमेसर का हो।
ओ देकबा का वाते के, थाँ विस्वास का हाते जीरिया हो खुद ने परको। अन खुद की जाँच पड़ताल करो कई थाँ खुद ने जाणो के, ईसू मसी थाँका मयने हे। यद्याँ अस्यान ने वेतो तो थाँ जद्याँ परक्या ग्या हाँ तद्याँ खरा ने ने निकळता।
परबू का मन्दर को मूरत्याऊँ कई वेवार? काँके आपाँ खुदईस जीवता परमेसर का मन्दर हा, जस्यान वणा खुदईस क्यो हो, “मूँ वाँका में वास करिया करूँ, वाँका में चालूँ-फरूँ। मूँ वाँको परमेसर वेऊँ अन वीं मारा मनक वेई।
अन थाँ ज्यो परमेसर का बेटा-बेटी हो, ईं वाते परमेसर ने आपणाँ पूत की आत्माने थाँका हरदा में खन्दई, वाईस आत्मा “हो बापू, हो पीता” केन परमेसर ने हेलो पाड़े हे।
वाँ बात परमेसर जिंका पे परगट करणो छारिया हो, वाँने ध्यान वीं जावे के, वीं परमेसर की मेमा को मोल हाराई मनकाँ में कई हे, अन वाँ बात आ हे के, मसी ज्यो मेमा की आस हे वाँ थाँकामें बणी तकी रेवे हे।
जद्याँ तईं थाँकी बात हे, थाँको अभिसेक वणीऊँ हे ज्या पुवितर आत्मा थाँकामें वास करे हे, ईं वाते थाँने तो ओ जरूत कोयने के, कुई उपदेस देवे, पण थाँने तो ज्यो आत्मा दिदी गी हे, वाँ यो हारोई हिकावे हे। आद राको आत्मा जो हिकावे हे, वो हाँच हे जूट कोयने हे। आत्मा की हिकावण ने मानो अन मसी में बण्या तका रेवो।
अन ज्यो भी मनक परमेसर को आदेस माने हे वींका में परमेसर को वास रेवे हे अन वो मनक परमेसर में बण्यो तको रेवे हे। अन पुवितर आत्मा की वजेऊँ ज्या आपाँने दिदी गी, वणीऊँ ओ जाण सका हाँ के, आपणाँ मयने परमेसर को रेवास हे।
हो मारा प्यारा बाळकाँ, थाँ परमेसर का हो। ईं वाते थाँ जूटा परमेसर की आड़ीऊँ बोलबावाळाऊँ जितग्या हो। काँके थाँका मयने वो परमेसर वास करे हे वीं ईं दनियाँ में रेबावाळा सेतानऊँ जोरावर हे।
पण ज्यो भी आपणी बाताँ हुणे हे, वो परमेसर का आड़ीऊँ हे, काँके वो परमेसर ने जाणे हे। पण ज्यो परमेसर का आड़ीऊँ ने हे, वीं आपणी ने हुणे। अणी बात की वजेऊँ आपाँ ओ जाण सका के, कस्यी आत्मा हाँच की हे अन कस्यी आत्मा भटकबावाळी हे।
जिंके कान्दड़ा हे वीं हुणीलो के, आत्मा मण्डळ्याऊँ कई केवे हे। ज्यो भी जिती, मूँ वाँने हरग में हपायो तको मन्नो देऊँ। मूँ वाँने एक धोळो भाटो भी देऊँ, जिंका ऊपरे एक नुवो नाम लिक्यो तको वेई। वो नाम वीं मनक का छोड़न कुई ने जाणी, जिंने वो दिदो जाई।