कुई मनक दया को दिकावो करन हरग-दुताँ की पुजा करन थाँने थाँका फळऊँ छेटी ने कर दे। अस्यान मनक देकी तकी बाताँ में लाग्या तका रेवे, अन आपणी दनियादारी की हमज ने बेकार में फुलावे अन बड़ावे हे।
हरग-दुताँ की पुजा करणी, आपणी देह ने दुक देणो, दिकावा की दया अन मनकाँ का बणाया तका जूटा नेम, ईं हाराई ग्यान की बाताँ तो लावे हे, पण देह की बुरी मरजी ने रोकबा का वाते अणाऊँ कई नफो ने वेवे हे।
यो ईं वाते ने व्यो के, आपाँ धरम का काम कररिया हा, पण आ वाँकी करपाइस ही के, वो आपाँने पुवितर आत्मा का आड़ीऊँ बंचावे, ज्या आपाँने धोन नुवो जनम अन नुवो जीवन देवे हे।
में वणीऊँ क्यो, “हे मालिक, थाँ तो जाणोई हो।” तो वणा माराऊँ क्यो, “ईं वीं मनक हे जी कळेस जेलन आया हे अन अणा आपणाँ गाबा ने उन्याँ का लुईऊँ धोन धोळा किदा हे।