22 तद्याँ चेला होच में पड़ग्या अन एक दूजाँ का मुण्डा ने देकबा लागा के, ईं किंका बारा में केरिया हे।
जद्याँ वीं खारिया हाँ, तो ईसू क्यो, “मूँ थाँने हाँची-हाँची केवूँ हूँ के, थाँकामूँ कुई एक मने धोकाऊँ पकड़ा देई।”
ईंपे चेला नरई दकी व्या अन वीं वाँकाऊँ हाराई पूँछबा लागा, “हो परबू, कई वो मूँ हूँ?”
जदी वे हारई जणा बेटन जीमणो जिमरिया हा, तद्याँ ईसू क्यो, “मूँ हाँची केऊँ के, थाँकामूँ एक जणो, ज्यो मारा हाते जीमरियो हे। वो मने धोकाऊँ पकड़ा देई।”
ईं बात पे वीं दकी व्या अन एक का पछे एक ईसुऊँ पूँछबा लागा, “कई वो मूँ तो ने हूँ?”
“पण, देकज्यो, ज्यो मने धोकाऊँ पकड़वाई, वो मारा हाते अणी जीमण में हे।
ईं बात पे वी एक-दूजाऊँ सवाल करबा लागा, “आपाँ मूँ कूण वे सके हे ज्यो अस्यो काम करी?”
“मूँ थाँका हाराई का वाते ने केवूँ हूँ, जाँने में चुण लिदा वाँने मूँ जाणूँ हूँ, पण यो ईं वाते हे के, पुवितर सास्तर को यो लेक पूरो वे, ‘ज्यो मारा रोटा खावे हे, वीं मारा पे लात उठई।’
या बाताँ क्या केड़े ईसू मन में घणो दकी व्यो अन क्यो, “मूँ थाँने सई-सई केवूँ हूँ के, थाँकामूँ एक जणो मने धोकाऊँ पकड़ा देई।”