ईसू वाँने क्यो, “थाँका कम विस्वास की वजेऊँ। मूँ थाँकाऊँ हाचेई केवूँ हूँ, यद्याँ थाँको विस्वास हरूँ का दाणा का जतरोक भी वेतो, तो ईं मंगराऊँ केता के, ‘अटूऊँ हरकन वटे जातो रे, तो वो जातो रेई।’ कुई बात थाँका वाते अबकी ने वेई।
तो वींकी मोत को बतिस्मो लेबाऊँ आपाँ भी वींके हातेईस गाड़्या ग्या हा, ताँके जस्यान परमेसर की मेमा की तागत का मस मसी ने मरिया तकाऊँ जिवाया हा वस्यानीस आपाँ भी एक नुवो जीवन जीवाँ।
जद्याँ आपाँ उगाड़ा मुण्डाऊँ काँस का जस्यान परबू की चमक को चलको पाड़ा हाँ, तो आपाँ भी वींके जस्यान वेबा लागा हाँ अन वाँ चमक आपाँ में ओरू भी हेलीऊँ हेली वेबा लागे हे अन आ चमक भी परबू का आड़ीऊँइस आवे हे, मतलब आत्माऊँ।
काँके परमेसर क्यो हो के, “अन्दारा में उजितो चमकी” अन वोईस आपणाँ हरदा में चमक्यो हे, जणीऊँ आपाँने ईसू मसीऊँ परमेसर की मेमा का वाते ग्यान को उजितो मल सके।