25 ईसू वींने क्यो, “जीवन मारा में हे अन मरिया केड़े पाछो जीवतो वेणो मारा में हे। ज्यो कुई मारा पे विस्वास करी, वीं यद्याँ मर भी जाई तद्याँ भी पाच्छा जी उटी।
सास्तर बतावे हे के, “में थने घणी जात को बापू बणायो हे।” वीं परमेसर की नजरा में अबराम आपणाँ बापू हे, जणी परमेसर पे विस्वास हे। परमेसर मरिया तका ने जीवन देवे हे अन ज्यो ने हे, वींने हामे लावे हे।
अन यद्याँ मरिया तका पाच्छा जीवता ने वेवे, तो वीं मनक कई करी ज्याँने मरिया तका का वाते बतिस्मो दिदो ग्यो हो? अन वीं मरिया तका पाच्छा जीवताई ने वेई तो काँ मनक वाँका वाते बतिस्मो लेवे हे?
काँके आपाँ जाणा हा के, जस्यान परमेसर परबू ईसू ने मरिया तका मेंऊँ जीवता किदा हे, वस्यानीस वीं आपाँने भी ईसू का हाते जीवता करी अन माँने भी थाँका हाते परमेसर का हामे ऊबा करी।
ईंका केड़े वीं हरग-दुत मने जीवन देबावाळा पाणी की एक नंदी बतई। वाँ नंदी बिल्लोर का काँस जस्यान चमकती तकी पुवितर ही। वा नंदी परमेसर अन उन्याँ का वटेऊँ निकळन नगर की हड़क का वसा-वस वेती ही।
पुवितर आत्मा अन लाड़ी केवे हे, “आ।” अन ज्यो ईंने हुणे हे, वीं भी केवे, “आ।” अन ज्यो तरियो हे वो भी आवे अन ज्यो कुई छाई, वो जीवन को पाणी फोकट में पिया करी।