24 मारता वींकाऊँ क्यो, “मूँ जाणूँ हूँ के, आकरी का दन में पाछो जीवतो वे जाई।”
तद्याँ थूँ धन्न वेई, काँके वाँका नके थने देबा का वाते कई ने हे। ईंको फळ थाँने परमेसर वीं दन देई जद्याँ थाँ धरमी मनक का हाते पाच्छा जी उटी।”
ईसू वींने क्यो, “थारो भई पाछो जीवतो वे जाई।”
अन मने खन्दाबावाळा की याईस मरजी हे के, ज्याँने परमेसर मने हुप्याँ हे, वाँका मूँ किंको भी नास ने वेबा दूँ अन अन्त का दन में हाराई ने जीवता कर देऊँ।
काँके याईस मारा बाप की मरजी हे के, ज्यो कुई बेटा ने देके, अन वींपे विस्वास करे, वीं अनंत जीवन पावे। अन मूँ खुद वाँने अन्त का दन में पाछो जीवाई देऊँ।”
अन परमेसरऊँ अस्यान आस राकूँ हूँ जस्यान ईं लोग राके हे के, धरमी अन पापी दुयाँ को पाछो जी उटणो वेई।
विस्वासऊँ लुगायाँ आपणाँ मरिया तका ने ईंका केड़े जीवता देक्या। नरई मनकाँ ने हताया ग्या, पण वीं छुटबाऊँ नटग्या ताँके वीं मरिया केड़े पाच्छा जीवता वेन ओरी बड़िया जीवन ने मेसूस करे।