ईसू हुदा वींका आड़ी नाळ्या अन वींने लाड़ऊँ देकन क्यो, “थने एक ओरी काम करणो हे, ज्यो भी थाँरा नके हे, वींने बेचन गरीबा में बाँट दे। हरग में थने खजानो मली, पछे थूँ आ अन मारा पाच्छे वेजा।”
पछे, ईसू भी आपणाँ चेला की लारे मनकाँ की भीड़ ने बलई अन वाँने क्यो, “जदी कुई मारी लारे आणो छावे, तो वो आपणाँ खुद ने भुल जाई अन आपणी हूळी लेन मारा पाच्छे अई जावे।
पण अबे तो थाँ परमेसर ने जाणग्या हो अन परमेसर थाँने ओळक लिदा हे, तो थाँ दनियाँ की कमजोर अन हूंगळी बाताँ का आड़ी पाच्छा काँ जावो हो? अन थाँ पाच्छा काँ वींका दास बणणा छारिया हो?
पण परमेसर की पाकी नीम हाले कोयने, जिंपे आ छाप लागरी हे के, “परबू आपणाँ मनकाँ ने जाणे हे,” अन, “ज्यो कुई परबू को नाम लेवे हे, वींने बुरा कामऊँ बच्यो तको रेणो छावे।”
ईं मनक कूँवारा हा अन ने ईं कणी लुगई का हाते कदी हूँता। अन जटे वीं उन्यो जातो ईं वींके हाते वे जाता। ईं परमेसर का वीं पेला फळ हे, ज्याँने मोल देन छुड़ाया ग्या हा।