कुई भी माराऊँ मारो जीवन ने ले सके, पण मूँ खुदई दी देऊँ हूँ। मने ईंने देबा को हक हे अन पाछो लेबा को भी हक हे। परमेसर मने अस्यान करबा का वाते आग्या दिदी हे।”
पण आपाँ यो देकाँ हा के, वीं ईसू जाँने थोड़ीक टेम का वाते हरग-दुताऊँ रेटे कर नाक्या हा, अबे वींने मेमा अन आदर को मुकट पेरायो ग्यो हे, काँके वणी मोत को दुक जेल्यो हे। ताँके परमेसर की करपाऊँ हरेक मनक का वाते मोत को हवाद चाके।