50 ईसू वींने क्यो, “में ज्यो थने क्यो के, में थने अंजीर का रूँकड़ा के रेटे देक्यो, कई थूँ ईं बात की वजेऊँ विस्वास करे हे? तो थूँ आगे भी अणीऊँ मोटा-मोटा काम देकी।”
हड़क का आड़ी वणी एक अंजीर को रूँकड़ो देकन वो वींका भड़े ग्यो, तो वींने पान्दड़ा ने छोड़ वींमें ओरू कई ने मल्यो। तो ईसू रूँकड़ा ने क्यो, “अबे थाँरे में कदी कई फळ ने लागी।” अन वो रूँकड़ो तरत हुकग्यो।
ईसू या बात हूणी तो वाँने घणो अचम्बो व्यो। तद्याँ वणा पाच्छा फरन आपणे पाच्छे आबावाळा ने क्यो, “मूँ थाँने कूँ हूँ के, अस्यो विस्वास करबावाळो मने हाराई इजराएल का लोगाँ में भी कटेई ने मल्यो।”