काँके ईसू का नाम पे विस्वास करबा का मसऊँ यो मनक ताकड़े वेग्यो, जिंने थाँ देकरिया हो अन जाणो हो। हाँ, ईं मनक का विस्वासऊँ यो मनक थाँका हामे पुरी तरियाँ हव व्यो हे।”
अन थाँ ज्यो परमेसर का बेटा-बेटी हो, ईं वाते परमेसर ने आपणाँ पूत की आत्माने थाँका हरदा में खन्दई, वाईस आत्मा “हो बापू, हो पीता” केन परमेसर ने हेलो पाड़े हे।
थाँ कस्यान जाण सको के, कूण परमेसर को बेटा हे? कूण सेतान को बेटा हे? हरेक वीं मनक ज्यो धरम का काम ने करे अन आपणाँ विस्वासी भईऊँ परेम ने करे वीं परमेसर का आड़ीऊँ कोयने हे।
हो मारा प्यारा भायाँ, अबे आपाँ परमेसर का बेटा-बेटी हाँ, पण आबावाळी टेम में आपाँ कई वेवा, ईंका बारा में आपाँने ग्यान ने दिदो ग्यो हे, पण छावे ज्यो भी वे, आपाँ ओ जाणा हाँ के, जद्याँ मसी पाच्छा परगट वेई, तद्याँ आपाँ वींके जस्यान वे जावाँ, काँके जस्यान वो हे, वस्यानीस आपाँ वींने देकाँ।