“मारा परम बापू मने हारोई हूँप्यो हे, परमेसर के अलावा कुई बेटा ने कोयने जाणे हे, अन ने कुई बेटा के अलावा परमेसर ने जाणे हे, पण अबे वीं मनक परमेसर ने जाणे हे जाँने बेटो बतावे हे।
परमेसर अस्यान होच-हमजन ते कर राक्यो हो के, अणी दनियाँ का मनक आपणाँ ग्यानऊँ परमेसर ने ने जाण पाई, तो परमेसर ने ओ बड़िया लागो के, ईं तरिया परच्यार का जरिये ज्यो आपाँ कराँ हा, ज्यो परच्यार दनियाँ का मनकाँ की नजराँ में मुरकता हे, ईंपे विस्वास करबावाळा मनकाँ ने बचावे।
पण आपणाँ वाते तो एकीस परमेसर हे आपणाँ बापू। वणाईस हारी चिजाँ बणई हे अन वाँका वातेईस आपीं जीवा हाँ। परबू खाली एकीस हे, ईसू मसी। वाँकाऊँईस हारी चिजाँ वीं हे अन आपणो जीवन भी वाँकाऊँईस हे।
काँके वाँकाऊँईस परमेसर हंगळी चिजाँ बणाई पलई हरग की वो कन धरती की, दिकबावाळी कन ने दिकबावाळी, पलई सिंघासन, राज, राजा अन अदिकारी, अन हंगळी चिजाँ वींकाऊँईंस बणी अन वींका वातेईस बणी तकी हे।
विस्वास करबा की वजेऊँ आपाँ ओ जाण सका हा के, परमेसर की आग्याऊँईस ईं बरमाण्ड की रचना वीं हे। ईं वाते, ईं हाराई दिकबावाळी चिजाँ, दिकबावाळी चिजाँऊँ ने बणी हे।