“पण वीं हिंजारिया वीं छोरा ने देकन एक-दूजाऊँ क्यो, ‘ओ तो ईं बाग का मालिक को छोरो हे ज्यो जगाँ-जादाद को वेबावाळो मालिक हे। आवो ईंने मार नाका अन ईंकी जगाँ-जादाद ले लेवा।’
पण मूँ थाँकाऊँ यो केवूँ हूँ के, कणी बुरई करबावाळा का हाते बुरई मती करो, पण ज्यो कुई थाँका जीमणो गाल्डा पे रेपट मारे, तो वाँकी आड़ी दूज्यो गालड़ो भी कर देज्यो।
अस्यो एक भी परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो हो कई, जिंने थाँका बड़ाबा ने हतायो? वाँकाणी तो वाँने भी मार नाक्या, ज्याँकाणी नरई दनाँ पेल्याँईं वीं धरमी के आबा की घोसणा कर दिदी ही, जिंने अबे थाँकाणी छळ करन पकड़वा दिदो अन मार दिदो।
वो किताब को जो भाग भणरियो हो वो अस्यान हो। “वींने बली वेबावाळा गारा का जस्यान ले जारिया हा। वो तो वीं उन्याँ का जस्यान छानो-मानो हो, जो आपणी ऊन काटबावाळा का हामे छानो रेवे।
थाँ मनसा तो राको हो, पण थाँने मले कोयने। ईं वाते थाँ हत्या करो हो अन थाँ जलन राको हो। पछे भी थाँने कई ने मले, जणीऊँ थाँ लड़ई-जगड़ो करो हो। थाँने थाँकी मनसा की चिजाँ ईं वाते ने मले, काँके थाँ परमेसरऊँ कोयने मागो हो।