3 थाँका होना-चाँदी के जंग लागग्यो। वणापे लाग्यो तको जंग थाँने दोसी ठेराई अन वादी की जस्यान थाँरी देह ने बाळी। पण थाँ तो आकरी दनाँ में रिप्या को ढेर लगायो हे।
“‘परमेसर केवे के अन्त की टेम में अस्यो वेई के, मूँ आपणी आत्मा हारई मनकाँ में नाकूँ, थाँका बेटा-बेटी परमेसर का आड़ीऊँ बोलबा लाग जाई, थाँका मोट्यार मनक दरसावो देकी, अन भूण्डा-ठाड़ा लोग-बाग हपनो देकी।
पण थाँ आपणाँ गाटा अन कदी पछतावो ने करबावाळा मन के वजेऊँ परमेसर का गुस्सा ने आपणाँ वाते त्यार कररिया हो। वो गुस्सो थाँरा पे वीं दन पड़ी जदी परमेसर को हाँचो न्याव परगट वेई।
अन वीं दस हिंगड़ा जिंने थें देक्या हा अन वाँके हाते वीं डरावणा जनावर वीं वेस्याऊँ नपरत करी, वीं वींको हारोई कोसन वींने उगाड़ी कर देई। अन वींको माँस खई जाई अन वींने वादी में बाल देई।
पण दरपण्या अन बना विस्वासवाळा, भरस्ट, हत्यारा अन कुकरमी, जादु-टोना करबावाळा, मूरती पुजबावाळा, अन हाराई जूट बोलबावाळा को भाग वीं कुण्ड में मली ज्यो हमेस्यान बळतो रेवे हे। या दूजी मोत हे।”