मूँ थाँकाऊँ हाँची केवूँ हूँ के, परमेसर की नजराँ में वो फरीसी ने पण लगान लेबावाळो धरमी ठेरायो ग्यो अन घरे ग्यो, काँके ज्यो कूण आपणाँ खुद ने मोटो मानी, वो फोरो किदो जाई अन जी आपणाँ खुद ने फोरो मानी, वो मोटो बणायो जाई।”
हो मोठ्याराँ, अणीस तरियाँ थाँ भी परदानाँ का बंस में रेवो, थाँ हाराई का हाराई सेवा करबा वाते दया का हाते त्यार रेवो, काँके “परमेसर मेपणो करबावाळा का खिलाप में हे, पण जो मनक खुद ने फोरो बणावे हे वींके ऊपरे परमेसर दया करे हे।”