कई थाँ ने जाणो हो के, थाँकी देह पुवितर आत्मा को मन्दर हे, ज्यो थाँकामें बसी तकी हे अन थाँने परमेसर का आड़ीऊँ मली हे अन वाँ थाँकी खुद की ने हे। थाँ खुदऊँ ने पण परमेसर का हो।
परबू का मन्दर को मूरत्याऊँ कई वेवार? काँके आपाँ खुदईस जीवता परमेसर का मन्दर हा, जस्यान वणा खुदईस क्यो हो, “मूँ वाँका में वास करिया करूँ, वाँका में चालूँ-फरूँ। मूँ वाँको परमेसर वेऊँ अन वीं मारा मनक वेई।
काँके मसी ने मानबाऊँ पेल्याँ आपाँ भी बना ग्यान का, केणो ने मानबावाळा, भटक्या तका अन हरेक तरियाँ की मो-माया का गुलाम हाँ। आपणो जीवन बुरई अन मेपणाऊँ भरियो हे। अन आपाँ एक-दूजाऊँ दसमणी राकता हाँ।