हो भायाँ, यद्याँ कुई मनक कस्याई पाप में पकड़यो जावे, तो ज्यो थाँ आत्मिक हो थाँने अस्यान करणो छावे के, थाँ दया-भावऊँ वींने पाछो धरम का गेला पे लाबा का वाते वींकी मदत करो, ताँके वो पाछो धरम का गेला में आ जावे। थाँ आपणाँ खुद को भी ध्यान राकज्यो के, थाँ परक में ने पड़ो।
थाँ थाँको जीवन मसी का हव हमच्यार के जोगो जियो, ताँके यद्याँ मूँ आन थाँने देकूँ कन ने देकूँ पण थाँका बारा में मूँ ओ हुण सकूँ के, थाँ एक मन अन एक मकसदऊँ अटल रेन हव हमच्यार का विस्वास का वाते कल्ड़ी मेनत कररिया हो।
ईं वाते हाराई असुद कामाँऊँ अन च्यारूँमेर की बुरईऊँ छेटी रेज्यो। पण धिज्यो राकबावाळा वेन परमेसर का बचन जीं थाँका मन में हे वाँने मानज्यो, ताँके वीं थाँकी आत्मा ने छुटकारो दे सके।
पण ज्यो ग्यान हरगऊँ आवे हे वो हाराऊँ पेल्याँई तो पुवितर वेवे अन वींके केड़े सान्तीऊँ भरियो तको, सेण करबावाळो, बात मानबावाळो, दयाऊँ भरियो तको, हव फळवाळो अन बना पकसपात को अन बना कपट को वेवे हे।
पण थाँ तो अस्या मनक कोयने हो, थाँ तो परमेसर का थरप्या तका मनक हो, थाँ रजवाड़ी याजकाँ की टोळी अन पुवितर परवार का हो, परमेसर थाँने अंदारा का राज मेंऊँ अचम्बावाळा उजिता में लाया हे, जणीऊँ थाँ परबू का अचम्बावाळा काम का बारा में बता सको।
पण थाँ थाँको मयने का मन ने परबू का वसनऊँ जो सान्ती अन हुदा भावऊँ भरियो तको हे, वणीऊँस खुद ने सजाज्यो, काँके अस्यान को सजणो-धजणो परमेसर का हामे घणो हव हे।