16 अन थाँकामूँ कुई वींने केवे के, राजी खुसीऊँ रे अन धाप्यो तको अन ऊनो रे, पण वींकी देह के जरूत की चिजाँ वींने ने देवे, तो कई फायदो?
ईसू आपणाँ चेला ने बलाया अन क्यो, “मने अणा लोगाँ पे बाळ आवे हे, काँके वीं तीन दनाऊँ आपणाँ हाते हे अन वाँका नके कई खाबा को कोयने हे। मूँ वाँने भूका जाबा देणो ने छावूँ हूँ, कटे अस्यान ने वेजा के, वीं गेला मेंईस थाकन रेटे पड़ जावे।”
काँके मूँ भुको हो, अन थाँ मने खाबा को दिदो, मूँ तरियो हो अन थाँ मने पाणी पायो। मूँ बारवासी हो, अन थाँ मने घर में राक्यो।
मूँ नांगो हो, अन थाँ मने गाबा पेराया। मूँ मांदो हो अन थाँ मारी हार-हमाळ किदी, मूँ जेळ में हो अन थाँ माराऊँ मलबा आया।’
ईसू वींने क्यो, “हे बेटी, थाँरा विस्वासऊँ थूँ हव वेगी हे। सान्तीऊँ जा, थारी मांदकी छेटी वेगी हे।”
थाँको परेम हाँचो वेवे। बुरईऊँ नपरत राको अन खरईऊँ जुड़या तका रो।
आ बात में आग्या देन ने की, पण दूजाँ मनकाँ के खुला मनऊँ दान देबा की भावना का बारा में केन थाँका परेम का हाँच की परक करणो छारियो हूँ।