“परमेसर की आत्मा मारा ऊपरे हे। काँके वणा मने गरीब मनकाँ ने हव हमच्यार हूँणबा का वाते चुण्यो हे। वणीस मने खन्दायो हे के, मूँ केदयाँ ने छुड़ाबा को अन आन्दा ने देकबा का सन्देस को परच्यार करूँ अन दब्या तका मनकाँ ने ऊँसा उठऊँ।
आकरी में हो भायाँ, ज्यो ज्यो बाताँ हाँची हे अन ज्यो ज्यो बाताँ आदर करबा जस्यी हे अन ज्यो ज्यो बाताँ सई हे अन ज्यो ज्यो बाताँ ऊजळी हे अन ज्यो ज्यो बाताँ हुवावणी हे अन ज्यो ज्यो बाताँ हव गुण, बड़ई अन बड़िया हे वाँपे ध्यान लगाया करो।
पण ज्यो आजादी देबावाळी परमेसर की हिक पे ध्यान लगावे अन चाले हे, वो आपणाँ काम में आसीस पाई, काँके ज्यो वो हुणे हे वींने भूले कोयने अन जस्यान वो हुणे हे वस्यानीस वो करे हे।
सास्तर में लिक्यो हे के, “थाँ थाँका पड़ोसीऊँ थाँका जस्यानीस परेम करज्यो।” ओ हाराई हुकमाऊँ दरबारी हुकम हे। अन जद्याँ थाँ ईंने मानो हो, तो थाँ यो हव करो हो।