7 अस्यान का मनक ने ओ ने हमजणो छावे के, वींने परबूऊँ कई मल जाई।
पण जद्याँ थाँ विस्वासऊँ मांगो, तो सक मती करज्यो, काँके सक करबावाळो समन्द की लेराँ के जस्यान वेवे हे, वीं बेवे अन उछळे हे।
वो मनक दो मन वाळो हे अन आपणाँ हाराई काम में अस्थिर हे।
अन थाँ माँगो भी हो, पण थाँने मले कोयने, काँके थाँ बुरी मरजीऊँ माँगो हो। अन ज्यो मले वींने थाँ थाँके भोग-विलास में उड़ा देवो हो।