यो देकन, वो फरीसी जणी वींने बलायो हो, आपणाँ मन में होचबा लागो, “यद्याँ यो परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो वेतो तो जाण लेतो के, वाँ कस्यी अन कूण लुगई हे? के, वा तो पापी लुगई हे।”
ओ हव हमच्यार बेस बोली कोईस ने हे, पण तागत अन पुवितर आत्मा का हाते अन ईंकी हाँच की खरई का हाते थाँका नके पूग्यो हे। थाँ तो जाणोइस हो के, माँ थाँकी भलई का वाते थाँका हाते कस्यान रिया हा।
पण ज्यो आजादी देबावाळी परमेसर की हिक पे ध्यान लगावे अन चाले हे, वो आपणाँ काम में आसीस पाई, काँके ज्यो वो हुणे हे वींने भूले कोयने अन जस्यान वो हुणे हे वस्यानीस वो करे हे।
जद्याँ ईं हारी चिजाँ नास वेबावाळी हे तो थाँ होचो थाँने कस्यान को जीवन जीवणो छावे? थाँने पुवितर जीवन जीवणो छावे, काँके पुवितर जीवन परमेसर ने हव लागे हे।