वाँ आस आपणाँ जीवन का वाते अस्यो लंगर हे ज्यो एक जगाँ पाको हे ज्यो हाली ने सके हे। अन आपणी आस का वजेऊँ आपाँ अस्यान का हा, मानो आपाँ परमेसर की वीं जगाँ में पराग्या, जटे मायाजकइस जा सके हे, ज्या परदाऊँ ढाकी तकी हे।
पण मयने का ओवरा में मायाजक साल में एक दाण जातो हो। वो बना वीं लुई के कदी ने जातो हो, जिंने वो खुद अन आपणाँ मनकाँ का अणजाण में किदा ग्या पापाँ का वाते परमेसर के भेंट चड़ातो हो।