आ बात हाँची हे तो मसी को लुई कतरो जोरावर वेई? जणी अनंत आत्माऊँ खुद ने निरदोस बली का रूप में हमेस्या वाते परमेसर के चड़ा दिदो। वींके अस्यान करबाऊँ अन वींके लुईऊँ आपाँने मोत का आड़ीऊँ लेन जाबावाळा करमाऊँ आपणाँ मन सुद कर करी, ताँके आपाँ जीवता परमेसर की सेवा कर सका।
यद्याँ अस्यान वेतो तो दनियाँ का रचनाऊँ लेन वींने आकोदाण दुक जेलणो पड़तो, पण अबे जुग का अन्त में वो एकीस दाण परगट व्यो हे, ताँके आपणाँ बलीदानऊँ पाप ने छेटी कर दे।
पण मयने का ओवरा में मायाजक साल में एक दाण जातो हो। वो बना वीं लुई के कदी ने जातो हो, जिंने वो खुद अन आपणाँ मनकाँ का अणजाण में किदा ग्या पापाँ का वाते परमेसर के भेंट चड़ातो हो।