23 ईं वाते ओ जरूरी हे के, जीं चिजाँ हरग का नकल का रूप में हे, वाँने जनावराँ का बलीऊँ पुवितर करणी छावे। पण हरग की चिजाँ तो अणाऊँ ओरी बड़िया बलीऊँ पुवितर किदी जावे हे।
ईं वाते अबे थाँ अन मोटी सबा का लोग सेनापती ने हमजावो के, पोलुस ने थाँका नके ईं बायनेऊँ लावे के, थाँ वींका बारा में सई तरियऊँ पतो करणो छारिया हो अन वींके आबा के पेल्याँई माँ वींने मारबा के वाते त्यार रेवा।”
मूसा का नेम तो आबावाळी बड़िया बाताँ की छाया को रूप हे। पण यो वाँको असली रूप ने हे। ईं वाते बली का रूप में हरेक साल चडावो चड़ायो जातो हो। अन वो चडावो परमेसर का नके आबावाळा मनकाँने कदी सिद ने करे हे।
आ बात हाँची हे तो मसी को लुई कतरो जोरावर वेई? जणी अनंत आत्माऊँ खुद ने निरदोस बली का रूप में हमेस्या वाते परमेसर के चड़ा दिदो। वींके अस्यान करबाऊँ अन वींके लुईऊँ आपाँने मोत का आड़ीऊँ लेन जाबावाळा करमाऊँ आपणाँ मन सुद कर करी, ताँके आपाँ जीवता परमेसर की सेवा कर सका।
काँके मसी हात का बणई तकी पुवितर जगाँ में ने ग्यो, ज्या जगाँ हाँची पुवितर जगाँ की नकल का जस्यान हे, पण हरग में ग्यो हे, ताँके आपणाँ वाते परमेसर का हामें पेरवई वेवे।
वीं एक नुवो गीत गाबा लागा हा के, “थाँ ईं किताब ने अन ईंपे लागी तकी मोराँ ने खोलबा जोगो हो, काँके थाँ बली चड़न थाँका लुईऊँ हाराई कुल का मनकाँ ने, हारी बोली बोलबावाळा ने, हारी जात्या का मनकाँ ने परमेसर वाते मोल लिदो हे।