13 काँके जद्याँ बकरा अन पाडा का लुई अन पाडी की भभूत वाँका पे छाटी जावे, ज्यो रिति-रिवाज का जस्यान असुद ने सुद बणावे हे, ताँके वीं देह का हस्याबूँ सुद वे सके।
थाँ होचो के, वो मनक कतरो दण्ड भोगी, जणी आपणाँ पगा का रेटे परमेसर का बेटा ने गूँन्दयो हे, अन वो वणी करार का पुवितर लुई जणीऊँ वो पुवितर किदो हो वो वींने एक अपुवितर मान्यो हे अन वणी दया करबावाळी आत्मा को भी अपमान किदो हे।
ईं वाते जद्याँ मूसे नेमा की हारी आग्या लोगाँ ने हुणई नाकी, तो वणी पाडा-पाडी अन बकरा को लुई पाणी में मलान लाल ऊन अन जुफा की डाळ्याऊँ वीं किताब पे अन हाराई लोगाँ पे छाँट दिदो।
अबे जद्याँ थाँ हाँच ने मानता तका, हाँचा भईचारा का परेम ने बताबा का वाते आपणी आत्माने पुवितर कर लिदी हे, ईं वाते थाँ एक-दूँजा में पुवितर मनऊँ परेम करबा की मनसा बणालो।