10 ईं हारी चिजाँ तो खाबा-पिबा, नावा-धोबा का सुद वेबा का मनकाँ का अलग अलग नेम हे। अन ईं नेम जद्याँ तईं परमेसर को आगलो क्रम लागू ने वेजावे, वतरे लागू रेई।
अन वीं बजारऊँ आन जतरे हापड़ ने लेता, वतरे वीं खाणो ने खाता हा। अस्यानीस नरी ओर भी अस्यी रीतियाँ ही, जिंको पालण करता हा, जस्यान के लोट्या, कळस अन ताँबा का ठामड़ा ने माँजणा अन धोणा।
पण अबे तो थाँ परमेसर ने जाणग्या हो अन परमेसर थाँने ओळक लिदा हे, तो थाँ दनियाँ की कमजोर अन हूंगळी बाताँ का आड़ी पाच्छा काँ जावो हो? अन थाँ पाच्छा काँ वींका दास बणणा छारिया हो?
अलग अलग तरियाँ का अणजाणी हिकऊँ भटको मती, काँके थाँका मन का वाते यो हव के, वो खाबा-पिबा की नेमा का बजाए दयाऊँ मजबूत बणे। अन जणा खाबा-पिबा का नेमाने मान्याँ वणाऊँ वाँको कदी भलो कोनी व्यो।